कुछ जान-पहचान

बात कहूं इसे या एक बीमारी है, 
ऐसी सुलझी है, अजनबी है।
बस मान लेना, इतनी सी ये बात है,
जो पहले बस खुद से की है।

यूंही नहीं बतलाता हूं,
उससे में भी बात करता हूं।
वो जो मेरे साथ है,
मेरे सोने से वो सोता है,
सुबह मुझे वो उठाता है,
इतना पास है, खुद से ज्यादा उसे जिया है।
ना कोई शर्त,
ना कोई शब्द,
उसे बस यूंही पास रखा है।
मेरे होने का वजूद वो देता है,
में कुछ नहीं, ये हकीकत से डराता है।
अनजानों से मिलना मुझे अच्छा लगता है,
इसे भी मिल रहा हूं, और वो, मेरे गले लगा है।
बता दू में,
ये वही है जो चिल्लाने से शांत होता है,
भरी बाजार की भीड़ में भी अकेलापन ढूंढ़ता है,
नकाब इसने पहेन रखे है,
तुम पहेचान नहीं पाओंगे, ये हसता भी है।
ना कुछ खोया इसने,
पर रोना लाया है।
ना कुछ पाया इसने,
पर वो रोना सुकून देता है।
मे भी गुमराह होता हूं,
इतने करीब होते हुए भी, बेवफाई सहता हूं।
चलो, तुम्हारी उससे ही बात करवाता हूं।

बुरा मत समझना मुझे,
में इतना भी बुरा नहीं।
मेरी भी एक दुनिया है, बस तुमसे कम नहीं।
चंद खाहिशो से भरी, तुम्हारी से ज्यादा कई।
बस उन्हें जीना चाहता हूं,
अकेलापन नहीं, ये अधूरापन समझाना चाहता हूं।
यूं आसमान में देख, 
गहरी सांसों को समंदर पर फेंक,
जमीन की बाहों में लेट,
बस कुछ बातें करना चाहता हूं।
मेरे रंगों में ही तैरना चाहता हूं।
हसना रोना सब खोजना चाहता हूं।
महॉबात क्या है, महेसुस करना चाहता हू।
जो मेने समझा, वो समझाना चाहता हूं।
और जो मेरा है, वो बस मेरा ही चाहता हूं।
माफ़ करना में गलत भी हो सकता हूं,
पर क्या करे, 
मेरी दुनिया का में ही राजा हो सकता हूं।
तू न समझ पाएगा, अगर मुझे भी तुज जैसा बनाएगा।
तू न सह पाएगा, अगर यूहीं मुझसे अलग बतलाएगा।
हैरान भी मत हो अब, तेरी ही आवाज हूं में।
कोशिश थोड़ी मुझे समजने की करना,
बस थोड़ा ज्यादा प्यार करना, तेरा ही कल हूं में।
मेरी मांग से रूठ मत जाना,
थोड़ा पागल हूं, पर बेहोश ज्यादा।
मतलबी मत होना, थोड़ा ठहर जाना,
वक्त मेरे पास भी नहीं, तुम बस देर मत कर जाना।
आज ये पुकार है, कल शायद बस आहट रहेगी,
में जुबां दे चुका हूं, मेरी नई ज़िंदगी होगी।

इसे अब बात कहूं या एक बीमारी!
बस ऐसी सुलझी है, जैसे एक अजनबी।
बस मान लेना, इतनी सी ये बात है,
जो पहले बस खुद से की है।

अब कैसे समजाऊ इसे, में कुछ और भी ढूंढ़ना चाहता हूं।
इस ज़िंदगी को बस बांटना चाहता हूं।
जो भी सामने आए, बाहे फैलाकर,
बस प्यार भरी बातें करना चाहता हूं।
वो हर कोई, उसे भी समजू, बस ये चाहता हूं।
उसके दर्द को मेरी रूह तक पहुंचाऊं,
वो चिल्लाए, तो में चिल्लाऊं,
पर उसे शांत कर में शांत होना चाहता हूं।
हर चीज़ को बहोत करीब से देखना चाहता हूं।
ना धोखा, ना बेवफ़ाई,
बस प्यार करना जानता हूं।
इन्हीं रंगीन ख्वाहिशों से भरा, 
ये जो अफसाना दिल से जुड़ा है,
कैसे बताऊं, यही सिर पर चड़ा है।

अब क्या कहूं इसे, बात या बीमारी!
बस ऐसी सुलझी है, जैसे हो एक अजनबी।
बस मान लेना इतनी सी ये बात थी।
जो पहले बस खुद से की थी।।




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